शनिवार, 1 फ़रवरी 2025

 मौनी अमावस्या पर हुई दुखद घटना पर हार्दिक संवेदनाएं

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निकले थे घर से संगम पर स्नान करने इलाहबाद ,महाकुम्भ का पुण्य कमाने
कितनी उम्मीदों ,अरमानों के साथ निकले थे घर से वहां डुबकी लगाने
पाई-पाई जोड़ी थी बरसों से कुम्भ जाने को, बरसों का सपना साकार करने को
सपरिवार चले थे घर से अनंत यात्रा की ओर ,शायद जीवन के आखिरी तीर्थ को
लापरवाही गैरों की ,कीमत चुकानी पड़ी जान देकर कितने परिवारों को
बिचड़ गए परिवार अपनों से ,कितने बच्चे हुए यतीम मौनी अमावस्या को
--रोशी 

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

एक दुखद घटना ... अब प्रबंधन ऐसा होना चाहोये की इसकी पुनरावृति न हो ...

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