रविवार, 23 जनवरी 2011
Roshi: सर्दी
Roshi: सर्दी: "सर्दी कि वो ठिठुरती रात नहीं भूलती क्रश्काए शरीर, पड़ी झुर्रियों के साथ जो चाहता था एक टुकड़ा कम्बल का और मुट्ठी भर धूप हड्डियाँ जिसकी र..."
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
दिनचर्या सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...
-
श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...
-
जीते जी तो भोजन -पानी ना दिया सुकून से ,मार दिया जीते जी उनको श्राद्ध कर्म कर रहे हैं आज शानो -शौकत से बिरादरी में नाम कमाने को जिस मां ने...
-
होली का त्यौहार आ रहा है , साथ में रंगों की बौछार ला रहा है लाल, पीले ,हरे, नीले रंगों का है अदभुत संसार हर रंग से हम देखते और खेलते आये ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें