शुक्रवार, 27 मई 2011
Roshi: नारी जीवन एक प्रश्न
Roshi: नारी जीवन एक प्रश्न: "बरसो बाद आज मिली वो मुझे बीमार, असहाय , मानसिक अवसाद से त्रस्त थी वो हँसना, मुस्काना खिलखिलाना गई थी वो भूल बुत सरीखी प्रतिमा लग रही थी ..."
Roshi: जिन्दगी
Roshi: जिन्दगी: "जिन्दगी ने दी ठेरों खुशियों और नवाजा अनेको सुखो से पर थोड़े से दुखो में ही रही उलझी और ना सामना हुआ उनसे हम क्यूँ ना देख पाते हैं वो खुशिय..."
गुरुवार, 26 मई 2011
मासूम परी
उसका मन निर्मल, स्वभाव शांत और
कियूं कर ईश्वर ने बनाया उसको ऐसा ?
थी वो कोई इश्वेर्ये वरदान जो मिली थी उसको वो लली
आत्मा भी थी उसकी शुद्ध, न थी कोई तामसी ब्रती वहां
आज की युग में भी कोई बालक हो सकता है कहाँ ?
न थी उसको कोई जेवर, कपडे और किसी भी उत्पात की चाह
बस सदा जीवन उच्च विचार ही था उसकी राह
कभी भी , कहीं भी , किसी भी चीज को ना थी उसको जरुरत
किया ईश्वर ने बनाया था उसका स्वभाव या उसने खुद बना ली थी फितरत
दूसरो को ही देना, कभी खुद कुछ न लेना ऐसा था उसका स्वभाव
कहना आसन लगता है पर निभाना है मुश्किल ऐसा वर्ताब
माँ होकर भी हरदम सोचती कियूं न उसको कभी भी मन न चलता
कितना सयंम , था उसको मन पर यह कभी भी दूसरे को ना पता चलता ...
सुनो दोस्तों
विधाता ने तो दिया ऐसा सुंदर मानव रूप हमको
दिए हमको गम तो बक्श दी ठेरों इनायतें हम पर
कभी स्याह , कभी सफ़ेद दिखा दिए सब सपने हमको
अगर रहता स्याह रंग से सरोबर जीवन हमारा
तो सफ़ेद रंग का ना देख पते हम अदभुत नज़ारा
जो भी ख़ुशी मिले जियो सदैव हंस के मेरे दोस्तों
और मिले जो कभी गम तो उसे भी लगा लो गले दोस्तों
दुःख देती तकलीफे
पर सोचने से किया होता है
जब भी आती है बच्चो को तकलीफ
तड़प उठता है मन होती है बहुत टीस
पर अपने- अपने हिस्से की तकलीफ तो उठानी होती है सबको
बरना तो माँ उठा लेती है अपने कन्धो पर दुःख का सारा बोझ
और तिनका भर भी दुःख ना आने देती पास वो बच्चो के
उसकी दुनिया तो घुमती है उसके नैनिहालो के पास
पर बालको का तड़पना कर देता है व्यथित उसको
देखकर उसकी तकलीफ होती हूँ हर- पल परेश: ....
बुधवार, 25 मई 2011
क्या उम्मीदें होंगी पूरी
पर कुछ बन्धनों में बेडिओं में जकड़ी है वो माँ
चाह कर भी कभी कुछ ना कर पाने का मलाल करती है माँ
सर्वस्व न्योछाबर करने को हरदम तैयार रहती है माँ
बिना कभी भी यह जाने की औलाद किया करेगी ना सोचती माँ
जब आंखे होंगी कमजोर तो किया सहारा बनेंगी औलाद ?
जब शरीर थकेगा तो किया हाथ पकड़ेगी औलाद सोचती है हरदम माँ ?
जब होगी वृद्ध , असहाय तो किया बोझ उठाएगी औलाद
सोचती है माँ ?
जिन्दगी
पर थोड़े से दुखो में ही रही उलझी और ना सामना हुआ उनसे
हम क्यूँ ना देख पाते हैं वो खुशियाँ, सपने और उल्लास
रह जाते हैं यूँ ही मसरूफ अपने दुखो, तकलीफों में ही हर साँस
विधाता ने तो दिया ऐसा सुन्दर मानव रूप हमको
दिए हमको गम तो बक्श दिन ठेरों इनायतें हम पर
कभी स्याह कभी सफ़ेद दिखा दिए सब सपने हमको
अगर रहता स्याह रंग से सरोवर जीवन हमारा
तो सफ़ेद रंग का ना देख पते हम अदभुत नज़ारा
जो भी ख़ुशी मिले जियो सदैव हंस के मेरे दोस्तों
और मिले जो कभी गम तो उसे भी लगा तो गले दोस्तों ......
नारी जीवन एक प्रश्न
बीमार, असहाय , मानसिक अवसाद से त्रस्त थी वो
हँसना, मुस्काना खिलखिलाना गई थी वो भूल
बुत सरीखी प्रतिमा लग रही थी वो मुझे
स्वर्थी, शराबी, पति को गई थी वो व्याही
बच्चो का जीवन संवारने में ही जिंदगी जीना गई थी भूल
किसी भी प्रश्न का उत्तर देने में संकोच होता था उसको
नारी जाति पर हो रहे अत्याचारों का साक्षात् नमूना थी वो
जी रही थी पर बगैर साँस के , चल रही थी बगैर आस के
घर, परिवार की इज्जत बचाए जी रही थी संग वो अपनी सास के......
शुक्रवार, 20 मई 2011
अर्धविझिप्त माँ
बच्चो को दुलारती- पुचकारती माँ
दिमागी रूप से अविकसित पगली थी वो माँ
पर ममता, प्यार कहीं भी न थे कम उसमे
बच्चो की तरफ जैसे ही झपटा एक कुत्ता तत्काल ही उसने
चंडी सा किया रूप धारण और भिड गई कुत्तो से वो माँ
माँ तो माँ होती है , हों चाहें वो ठीक या हो पगली प्रतीत
पर ईश्वर तो भर देता है कूट-कूटकर मातृत्व और बना देता है माँ
इंतजार
उनके घर आने की ख़ुशी भी न दे पाती है दिल को सकूं
बस दिल सोंचता है हरदम है उनके वापिस जाने का गम
चाह कर भी ना रुक पाया है जैसे हरदम बहता दरिया
वैसा ही आवागमन होता रहता है कर जाता है जीवन को अव्यबस्थित
जब तक दिल की बात और अपनों ने समझा हाले दिल
तब तक वापसी का दिन आ गया और छूट गया साथ
दिल में बहुत कुछ रह गया था बताने को पर अपना तो चला गया
करती रहती हूँ इंतजार एक के बाद दूसरे के आने का
समेटती, सहेजती रहती हूँ बहुत सी बातें बताने को हर बार
करती हूँ मै हर पल उस छड का इंतजार ......
दरकते रिश्ते
क्यूंकि खो चुकी हूँ ठेरों रिश्तो को
पहले खोया माँ को न पा सकी दुबारा उनको
फिर टूटा दाम्पत्य नाता, वो रिश्ता भी था झूठा
भाई को जन्म न दिया था माँ ने
तो रिश्ता था वो भी अध अधूरा
अक्सर देखकर दूसरी बहनों को मन में था कुछ टूटता
पर जो असंभव था कर न सकी थी जन्म्दयानी ये पूरा
माँ किया गईं, सारे रिश्ते भी संग गए
सगे, सम्बन्धी और रिश्तेदार सबके रंग ही बदल गए
ना रहा कोई रिश्ता- नाता पक्का और मजबूत
सारे के सारे चेहरों के परदे खुद व खुद उतर गए
हमने तो बहुत चाहा निभाना पर हम थे मजबूर
बदलते रंग, दरकते रिश्ते अब दिल को तोड़ कर
काफी आगे को चल दिए.
तो रिश्ता था वो भी अध अधूरा
अक्सर देखकर दूसरी बहनों को मन में था कुछ टूटता
पर जो असंभव था कर न सकी थी जन्म्दयानी ये पूरा
माँ किया गईं, सारे रिश्ते भी संग गए
सगे, सम्बन्धी और रिश्तेदार सबके रंग ही बदल गए
ना रहा कोई रिश्ता- नाता पक्का और मजबूत
सारे के सारे चेहरों के परदे खुद व खुद उतर गए
हमने तो बहुत चाहा निभाना पर हम थे मजबूर
बदलते रंग, दरकते रिश्ते अब दिल को तोड़ कर
काफी आगे को चल दिए.
क्यूंकि मैंने पाया ही नहीं
उसे अपने भाग्य में
तो सोचा ये भी नसीब में न था मेरे
ये भी ख्वाहिस रही अधूरी
अक्सर देखा बहनों को
करते हंसी ठिठोली
बस मैंने तो पाई बेचैनी
जब- जब छूटा साथ अपनों का
तब- तब टूटा दिल
आखिर क्यूँ खोते हैं ये रिश्ते ? ...
गुरुवार, 12 मई 2011
"मदर' स डे"
सिर्फ एक दिन ही क्या है ? उस माँ के वास्ते
साल के ३६५ दिन भी है कम उस माँ कें लिए
कितने, कष्ट और पीड़ा सहकर देती है वो जन्म
नवजात का पालन, पोषण करती है सब दुःख उठाकर
पर हम कर रहे हैं इतिश्री अपने अहसानों की यह दिवस मनाकर
किया हैप्पी मदर्स डे माँ कह देने भर से हो गया फर्ज पूरा
कम से कम उस माँ के बताए एक भी आदर्श- सीख को कर दिया पूरा
वस माँ को तो वही है दिवस पूरा ...............
बुधवार, 11 मई 2011
शादी कैट विलियम
ब्रिटिन के भावी सम्राट के वैवाहिक जीवन की शुरुआत पर
हमारी है दुआएं उस नवविवाहित जोड़े के वैवाहिक जीवन पर
साथ ही है मन में ठेरों आशंकाए कैट के भावी जीवन पर
ईशवर भर दे उसका दामन सुख- समर्धि और प्यार से जीवन भर
वो बच्ची भी कभी न हो शिकार शाही षड्यंत्रों का हर बार
जैसा हुआ था डायना के साथ न हो कभी यह त्रासदी फिर कभी एक बार
फूले- फलें यह शाही जोड़ा और ब्रेटन को मिलें एक नया सुंदर परिवार..
अन्ना हजारे
सुना बहुत था बचपन से और आज पाया उसको
अन्ना हजारे की माँ ने जो किया था सपूत पैदा
सारा देश, विदेश कर रहा है सलाम उसकों
कुछ तो सच्चाई, असलियत, देशभक्ति और ईमानदारी
रही होगी उस सपूत में जो हमारे भ्रष्ट नेता न कर पाए पैदा
जनता में बढ़ाते ही रहे सदैव हिंसा, अधर्म और बेरोजगारी
पर एक अन्ना ने तो जैसे किया सम्पूर्ण विश्व में जादू पैदा
हम सबको है गर्व भारत के इस लाल पर जिसने किया
है सबके दिल और दिमाग में विश्वास पैदा
की अगर हो हिम्मत और ईमानदारी दिल और दिमाग में
तो रोज यूँ ही होते रहेंगे हम भारतीयों के चमन में दीदार पैदा
अन्ना हजारे को सलाम ...
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