सोमवार, 25 सितंबर 2023

 हंस कर काटी गर जिन्दगी साथ में ढेरों मिल जायेंगे

आंख में अश्कों को देख सब दूर हो जायेंगे
मुस्कराता चेहरा भाता है सबको ,हाल चाल सब पूछने आएंगे
गर खोला हाले दिल का पिटारा ,सब झूटी तस्सलियाँ दे मन बहलाएँगे
कोई जख्मों पर ना लगाएगा मरहम,ज्यादातर नमक ही छिड़क कर जायेंगे
कब ,कैसे ,किसके साथ बांटना है तकलीफों का जखीरा बस यह हुनर सीख लो
नकली मुखौटे के साथ जीने की पड़ गई है आदत ,वही सबको खुश कर पाएंगे
फायदा है बड़ा इसका ना अपने दर्द दिखेंगे ना दूसरे के गम हम देख पाएंगे
--रोशी
Uploading: 101062 of 101062 bytes uploaded.

कोई टिप्पणी नहीं:

  हिंदी दिवस के अवसर पर ...हिंदी भाषा की व्यथI ----------------------------------------- सुनिए गौर से सब मेरी कहानी ,मेरी बदकिस्मती खुद मेरी...