मां-बाप बाल्यावस्था से बालक का मार्गदर्शन करते हैं जवान होते ही अब जन्मदाता राह की रूकावट लगते हैं
मौज मस्ती ,गलत सोहबत पथभ्रष्ट कर देती है जीवन को
पालक से ज्यादा कौन नेक राह बता सकता है बालक को
आधुनिकता की आंधी में लगती सब बेबुनियाद बातें अपनों की
जब ठोकर लगती गहरी तो शिक्षा याद आती जन्मदाता की
निस्स्वाथ दुनिया में मां बाप ही औलाद की सोचते बेहतरी उसके जीवन में
वृधावस्था में लगते फ़िज़ूल वो परिवार में ,समेट दिया जाता वजूद उनका जीवन में
अद्भुत गुडों की खान होते हैं वो स्वयं में , सीख लें गर उनसे कुछ जीवन में
यूँ ही नहीं किये होते माता पिता ने बाल अपने सफ़ेद खुद के जीवन में
जब उलझती जीवन की गुत्थी तो याद आती उनकी अहमियत जीवन में
--रोशी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें