रविवार, 14 जुलाई 2024

 

अंध विश्वास में कभी जीवन ,कभी बेटियां ,कभी लगती घर की इज्ज़त दांव पर                                                         आंख मूंद लगा देते सब कुछ बिन सोचे -समझे किसी धूर्त ,पाखंडी के ऊपर
श्रधा ,विश्वास जरूरी है बेहतरीन जीवन जीने के लिए ,आवश्यक है जीने के लिए
स्वयं और परिवार की सुरक्षा का दारोमदार भी होता नितांत जरूरी जीवन के लिए
गुनाह हम खुद करते हैं खुद को सौंप बिन सच्चाई की तलहटी तक जाने बूझे
निज जिन्दगी ,परिवार को लगा देते दांव पर खुद अंधी खाई में कूदकर ऐसे
--रोशी

कोई टिप्पणी नहीं:

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...