इन्सान
उनका ना कोई ईमान है ना धर्म है
ना तो वो हिन्द है ना ही वो पूरा मुसलमान है
ना ही है वो इंसान,बो तो पूरा का पूरा हैवान है
दया ममता इंसनियत उसने इसका मर्म ना जाना
दरिन्दगी हेवनियत के साथ उसका स्वभाव है वहीशियाना
अरे कभी तो उस आतंकी ने झाँका होता दिल के अन्दर
तो ना होता वो इतना दरिंदा और रहता इन्सान ,इन्सान और सिर्फ इन्सान
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