शनिवार, 4 जनवरी 2025



ठहरी जिन्दगीं को नवरस की चाशनी में डुबा जाते हमारे त्यौहार
घर आँगन में आलोकित दीप जीवन में स्वर्णिम आभा बिखराते त्यौहार
चौबारे पर सजी रंगोली सप्त रंगों का देती अद्भुत अहसास बारम्बार
धूप-कपूर की महक ,गेंदा ,गुलाब की खुशबू बातावरण को कर देती सरोबार
दमकते चेहरे ,खिलता बचपन सभी को मन्त्र मुग्ध कर देते हमारे यह त्यौहार
--रोशी

कोई टिप्पणी नहीं:

  मौनी अमावस्या पर हुई दुखद घटना पर हार्दिक संवेदनाएं --------------------------------------- निकले थे घर से संगम पर स्नान करने इलाहबाद ,महा...