शनिवार, 4 जनवरी 2025



सर्द रातें ,शरद बयार ,और शादियों की गहमागहमी
हर तरफ छाई मस्ती ,,सुस्वाद व्यंजन ,पीने पिलाने का दौर
फिजा भी रंगीन है दावतें का शोर है ,कर वस्त्रों में में नारियां ठंड को रही झुठला
झीने वस्त्रों में भी ठंड ना लगने का कर रही हैं दिखावा और रहीं हैं इठला
दावतें ,शादी व्याह में जाने की होड़ सी मची हुई है चाहे रिश्ता हो कोई दूर का
प्रेम मोहब्बत शायद पहले ही ख़त्म हो गया था अब लकीर पीटने को जा रहे हैं
खायेंगे पीयेंगे ,मौज मस्ती करेंगे कुछ देखेंगे कुछ खुद का प्रदर्शन करेंगे बस

--रोशी 

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