वो जन्मति हैं तो होती हैं बेशक मासूम ,कमजोर ,रुई के गाले की माफिक
कुदरतन हर खूबी, सलाहियत से लबरेज होती हैं वो दुनिया के काबिल
उनको कमजोर बना देते हैं मां -बाप ,परिवार और हमारा समाज बचपन से
सिर्फ गुडिया ,रसोई के बरतन पकड़ा देते हैं हम सुकून से खेलने को छुटपन से
उनको मौका ही नहीं देते खुल के जीने का ,समेट देते हैं सभी रास्ते तरक्की के
उनका ज़ज्बा,हौसला और लगन ही बनाता है उनको कामयाब और सभी दूसरों से
नारी शक्ति को रोकना था सदेव से नामुमकिन देख लो इतिहास में झांककर
नारी ही है जो एक वक़्त में निभा सकती है ढेरो किरदार बाखूबी बाहरऔर भीतर
मां,बहन ,बहु हर सांचे में ढलने की क़ाबलियत पाई हैउसने खुद के भीतर समंदर की लहरों को भी है चीरा उसने,चाँद पर पाँव रखने कीअब चाह है उसकी
ना डिग सके हैं बुलंद इरादे नारी के ,इतिहास गवाह है काबिलियत से उसकी
रोशी
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