शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

 मध्यवर्गीय आम इंसान की जिन्दगी बचपन से बुढ़ापे तक बस सपनों में गुजरती है

सुनहरे ख्वाब बस जीवन की रेलमपेल में ही सिमट कर जिन्दगी खिसकती जाती है
हर रात नया ख्वाब संजोना ,उसको सिरे चडाना करने की जी तोड़ कोशिश ताउम्र जारी रहती है
मकान ,दुकान ,शादी ,बीमारी इनसे ही जूझते उसका शुरू होता दिन ,कब रात गुजर जाती है
उच्च बर्ग से मुकाबला ,पग -पग पर जिल्लत शायद इनके अपने नसीब में लिखी होती हैं
खुद को हर कदम पर कमतर समझना शायद इनकी यह कुदरतन मजबूरी होती है
दुनिया के ताने ,उलाहने सब कुछ इनकी ही झोली में हैं आते रोज़ इनसे दो चार होते हैं
घर ,बेटी की इज्ज़त बचाने में इनको जरा सी शांति मयस्सर नहीं होती बस जिन्दगी की गाड़ी दौड़ी चली जाती है
इस जहाँ के एशो आराम ,तमाम सुकून शायद कुदरत ने नवाजे हैं कुछ खास आवाम के वास्ते
दुनिया भर की मशक्कत्तों से जूझते -जूझते वक़्त से पहले ही बुढा देती है जिन्दगी
आम आदमी की हसरतें
रोशी
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Richa Mittal

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