शनिवार, 8 जनवरी 2022



बहुत चाहा ढाकने अपने जख्म पर यह तो रोज़ अपना अक्स दिखा जाते है 
ढका भी इनकी गरीब की फटी चादर मानिद आवरण से पर यह तो चादर में सिमट ही ना पाते है 
या तो उस चीर में ताकत ही ना रही है उनको ढकने की 

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