जिंदगी
सब कहते है कि बीती ताहि बिसार दो और आगे की सुध लो
पर भूलना क्या होता है इतना आसा?
जिनको था दिल और दिमाग ने इतना चाहा
एक ही झटके में टूटा पूरा का पूरा भरम का जाल
खुल गयी आखें ,मिला जिंदगी का सबक और नए ख्याल
पर किससे कहे ? क्या कहें? बचा ना था कुछ भी बाकी
स्वयं पर ही करो भरोसा यही था जिंदगी का फलसफा
माँ बाप तो हमेशा ही रहे थे सुनाते जिंदगी के खास धोखे
पर हम मुर्ख समझते रहे कि घुमा देंगे जादू की छड़ी
बना ही देंगे जिंदगी , रिश्तो को सब कुछ आसां
पर अब पता चला कि हो गए थे हम फेल
हमारी भी किस्मत में ना था समझ पाना यह रिश्तो का फलसफा
कई लोग तो बिना कुछ करे धरे भी पा जाते है सभी का प्यार
हम तो सब कुछ कर के भी ना पा सके मर्ज़ी से जीने का अधिकार
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