रिश्ते बनाते बनाते गुजर गई ऊम्र,मौकापरस्तों ने जब चाहा तोड़ लिया
बुत भी बोल उठते हैं गिनाने को गलती जब साया भी साथ छोड़ गया
अपनापन ,प्यार सब हो जाता दफ़न जब रिश्तों पर पड़ जाती मिटटी
दुनिया बेहद मतलबपरस्त है ,कुछ ही इंसान कब्र तक रिश्ते निभाना रखते जारी
--रोशी
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