सोमवार, 15 जुलाई 2024

 

 रंग बदलता मौसम,इंसान ,वक़्त कुछ भी है ना भाता                                                                                           हम रिश्ता ,मोहब्बत दिल से जुड़ाव कर लेते हैं सदा
जब बदलता है मौसम का हाल ,शरीर भी झेलने के लिए ना होता तैयार
वक़्त के साथ अभ्यस्त हो जाते हैं हम ,बदलाव के लिए हो जाते हैं तैयार
इंसानी फितरत जब है बदलती ,आसान न होता यह झटका झेलना
खुदा ने बनायीं बहुरंगी दुनिया ,प्रतिदिन इसके रंग रूप है हमको देखना
बदलते वक़्त के साथ खुद को ढालने की क़ाबलियत भी ईश्वर ने की प्रदत्त
हो चाहे मौसम ,इंसान या हालात, जीवन आकार ले लेता तत्काल खूब -बा -खुद
--रोशी

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