इश्क़ के लिए एक लम्हा ही काफी होता है
नज़र का झुकना ही बहुत कुछ बयां कर देता है
कनखियों से एक दूजे को निहारना ही काफी होता है
जुबां का हलक में अटक कर भी बहुत कुछ बयां कर जाता है
इश्क़ का बुखार जब चड़ता है तो कुछ नज़र ना आता है
दिल की धड़कन भी रफ्तार बदल देती है जब इश्क़ होता है
लैला -मजनू ,शीरी -फरहाद बहुत से गुनहगार हुये इस रोग के
जान गंवा बैठे ,बेबजह बेखबर थे इसके ना -मुराद नतीजों से
--रोशी
सोमवार, 15 जुलाई 2024
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