सोमवार, 15 जुलाई 2024

 

आधुनिकता का भौंडा प्रदर्शन ना जाने क्योँ जिन्दगी का पर्याय बनता जा रहा है                                                       इसकी तेज रफ़्तार की गिरफ्त में आजकल युवा सब कुछ भूलता जा रहा है
निज संस्कार ,मर्यादा को ताक पर रख हमारा समाज दौड़ा चला जा रहा है                                                           बेहतरीन दिखाने की होड़ में अंग प्रदर्शन समाज का अहम् हिस्सा बन गया है
त्यौहार की खुशियों को मनाने का कुछ नवीन रूप अब दिखने लगा है
जुआ ,मदिरा त्यौहार के जश्न का जरूरी हिस्सा बनता जा रहा है
रंगोली ,तोरण ,दिए धीरे धीरे खोते जा रहे हैं अपना अस्तित्व
बिजली की झालर टांग अब दीपावली मनाने का रिवाज़ आता जा रहा है
वक़्त की कमी ,आधुनिकता के जामे ने त्यौहार का रंग बदल डाला है
सुवासित पकवानों की खुशबू ने अब डिब्बाबंद मिठाई का रूप ले लिया है
गुझिया ,बर्फी जो बनती थी रसोई में उस पाककला को युवा भूलता जा रहा है
विदेशी चाकलेट ,मिठाई अब त्योहारों का अहम् हिस्सा बनता जा रहा है
चेते ना गर हम अभी तो त्यौहार का उल्लास ,ख़ुशी इतिहास में दर्ज होने जा रहा है
--रोशी

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