अनुशासन गर सीखा बाल्यावस्था में दिलो दिमाग से
कच्ची उम्र में ढल गए सांचे में ,ले लिया सही आकार बचपन से
ना खानी पड़ेंगी लानतें ज़माने की जिन्दगी में गर बचपन गुजार लिया अनुशासन में
स्वर्ण आग में ,मिटटी सांचे में लोहा घन की चोट से पाते समुचित आकार जीवन में
जिसने सीखा यह बेमिसाल सबक जिन्दगी का बचपन से जितनी शिद्दत से
सुनहरा होगा जिन्दगी का आगाज़,राह ना रोक सकेंगी अडचने कंही से
रोशी
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