सोमवार, 15 जुलाई 2024


पेड़,पौधों को निहारते हैं,तारीफ के दो शब्द भी मुंह से निकालते हैं                                                                          कभी उनको रोपने का तस्सुवर भी नहीं करते ,करीब से गुजर जाते हैं
पेड़ों को काटने से पहले जरा नहीं सोचते उनकी क्या अहमियत हैं
कभी सोचा हमारी नस्लें बोतलों में हवा खरीदेंगी,जीवन दूभर हो जाएगा
पानी तो हमने ही खरीदना शुरू कर लिया ,अब श्वासों की कीमत चुकाना होगा
प्लास्टिक,कटते जंगल,दूषित नदियाँ हमारा भविष्य रोज़ निगल रहे हैं
पंछी,मछली बस किताबों में नज़र आयेंगे ,उनके बसेरों का वजूद मिटा रहे हैं
विदेशों में अब बन चुका है यह अहम् मुद्दा आगामी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य का
चिंतन का विषय है गंभीर बिन हवा, पानी क्या भविष्य होगा हमारे नौनिहालों का
--रोशी

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