कभी किसी को मुक्कमल जहाँ नहीं मिलता ... सौ फीसदी सच है जिन्दगी का यह फलसफा
हम खुद को जिन्दगी के फ्रेम में कैसे हैं बिठाते
यह हुनर हरेक इंसा में हरगिज़ नहीं मिलता
जिन्दगी देती है हजारों नेमतें ,साथ ही बदरंग भी बना देती है इसको
जो मिला है बहुतेरा है ,खुदा की बेहिसाब रहमत खुद पर समझो
ऊपर वाले की अदालत में होता हमारे कर्मानुसार सुख -दुःख का बंटवारा
वर्तमान को सुधारो ,भूत और भविष्य को नकारो ,जीवन होगा सुन्दर तुम्हारा
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