सोमवार, 15 जुलाई 2024


जिन्दगी का प्रश्नपत्र बड़ा ही अजीब ,अद्भुद है                                                                                                         हर गुजरता दिन कुछ बेहतरीन तजुर्बा ,अक्ल सिखा कर जाता है
जब तक वो सबक याद करो नया दिन अजूबे सवाल ले कर आ जाता है
पुराना पन्ना भूल फिर नया शब्दकोष खंगालना पड़ता है
रोज नए सवालात हल करते करते दिमाग भी निष्क्रिय हो जाता है
हर परीक्षापत्र ,पाठ्यक्रम एक दूजे के विपरीत पेश आते हैं
विद्यार्थी और अध्यापक दोनों किरदार जीवन के रंगमंच पर अदा हम करते है ,विचित्र होती रोज़मर्रा की पाठ्य शाला ,समूची जिन्दगी हम इसमें गुजार देते हैं
--रोशी

कोई टिप्पणी नहीं:

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...