हर किसी के पास है अपना फलसफा खुशियों को मनाने का
विचार ,तरीका अलग है त्यौहार को नव स्वरुप में मनाने का
कोई गरीब की झोपडी में दिया जला कर होता है प्रसन्न
कोई हजारों की आतिशबाजी जला कर भी है नाखुश ,बेचैन
खुश है कोई दुनिया के सैर सपाटे ,मौज मस्ती का लुफ्त उठाकर
रूह को मिलता चैन जाकर तीर्थ स्थान पर ,ईश्वर का साथ पाकर
सबकी भिन्न योजनायें हैं त्यौहार को अद्भुत रूप में मनाने का
अहम मुद्दा है निज प्रसन्नता का पूरे जोशोखरोश से त्यौहार मनाने का
--रोशी
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