रजा दशरथ ने उच्चकुल में विधान पूर्वक विवाह रचाया बेटियों का
दारुड दुःख पाया बेटियों ने ,कोई कभी सोच भी ना था पाया
द्रुपद कन्या व्याही तो अर्जुन से ,पर पांच पतियों की व्याहता कहलाई
मां बाप लाड से पालते हैं अपने दिल के टुकड़े को पर भविष्य से रहते अनजान
भविष्य रहता अनिश्चित बेटियों का यह तो कोई बिरला भी ना जान पाया
--रोशी
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