कहना चाहा बहुत पर दुसरे को समझना भी होता है बहुत जरूरी
सुख दुःख की जो गठरी सहेज रखी है बरसों से खुलना उसका है जरूरी
सलीका ना आया दिल के ख्यालात जाहिर करने का शब्दों का सहारा है जरूरी दिल की आवाज़ कोई सुने ना सुने बाहर निकलना उसका होता बहुत जरूरी
--रोशी
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