सोमवार, 15 जुलाई 2024

शीत लहर में दारुड है अत्यंत जीवन गरीब का
मौज मस्ती का उपयुक्त मौसम है अमीर का
शूलों की मानिद चुभती है हड्डियों तक शीत वयार
जिस्म से अलग होते महसूस सभी अंग जब होता इसका कहर
सुन्न हो जाती सांसें इसके प्रकोप और प्रचंड रूप से भीतर तक
चिंदी कथरी में रात गुजरती किसी खुशनसीब की पूरी सर्दी तक
सोच से परे है पूस की सर्द रातें काटना खुले आसमां के तले
ईश्वरीय चमत्कार ही रखता महफूज़ जिंदगियों को अपनी रहमत तले

--रोशी


 

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