भाई बहन,माता पिता, परिवारके साथ संयमित जीवन जीती हैं बचपन से
माहौल के अनुरूप ढल जाना इनकी अद्भुत प्रकृति भी मिलती है कुदरत से
ससुराल जाते ही यों रम जाती हैं जल्द ही अपना लेती हैं नियम कानून झट से
खानपान ,उठना बैठना ,रस्मोरिवाज अपनाने में ना करती कोताही खुद से
पति बच्चों केअनुरूप खुद को बदल डालती है तत्काल,सीख जाती हैं सब खुद से
बीस बरस मायके के अनुरूप जीती हैं बाकी उम्र गुजार देती खुद को बदल के
--रोशी

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