जिन छड़ों को हम समेट कर रखना चाहते हैं दिल से
छोड़ जाते हैं अमिट ,अद्भुत यादें मस्तिस्क में बेहतरीन
गुजर जाते हैं कई दिन उन यादों के सहारे बेहतरीन
दिल लौट जाता है खुद बा खुद उन लम्हों की ओर
मजबूर है यह बस बेशकीमती यादों को समेटता है
--रोशी
कुम्भ है देश विदेश सम्पूर्ण दुनिया में छाया असंख्य विदेशियों ने भी आकार अपना सिर है नवाया सनातन में अपना रुझान दिखाया ,श्रधा में अपना सिर ...
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