सोमवार, 15 जुलाई 2024


अपनों कोअपनेपन का अहसास भी दिलाना होता है बहुत जरुरी                                                                             यदा कदा अपनों की खैर -खबर ,उनकी कैफियत जानना भी होता जरूरी
दरख्तों को भी सींचना है जरूरी ,बरना सूख जाते हैं गर तवज्जो ना दी जाए
कुछ उनकी -अपनी कहना सुनना भी होता है खुशगवार जिन्दगी के लिए जरूरी
बिसरी यादें पनप उठती हैं गर कुछ पल मिल बैठ के याद कर लिया जाए
कुछ पलों की गपशप भर देती है नए रंग जिन्दगी में जो होती है बहुत जरूरी
--रोशी

कोई टिप्पणी नहीं:

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...