बाज़ारों में त्योहारों की रौनक को शायद नज़र लग गई घर-परिवारों को डेंगू की बीमारी है लग गई
बिरला ही कोई बच सका होगा इसके कहर से
पूरे कुनबे को एक साथ यह अपने आगोश में ले गई
भीषण हाहाकार ,दुःख दर्द यह अति का सबको दे गई
एक मच्छर कितना आतंक फैला सकता है ,समझा गई
मच्छर को भी ना समझो मामूली यह सबक बता गई
एक तुच्छ जीव का भरपूर कहर इंसान का बजूद कैसे है हिलाता
समझो ना किसी जीव को कम यह सबक सबको सिखा गई
--रोशी
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