पशु पक्षी हो या हो नारी ,मां होती सब पर भारी दूर बैठे भी होती नज़र औलाद पर हर पल सारी
औलाद पर जब आती मुसीबत क्योँ माँ हो उठती बैचैन
सात समंदर पार भी हो जाता आभास खो जाता निज चैन
खुदा ने माँ और औलाद के बीच लगाई कोई ऐसी मशीन
जिसको ना दूंढ सका मौजूदा एक से एक काबिल इंसान
--रोशी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें