कुछ अपनी कही ,कुछ उनकी सुनी,, सीमित वक़्त ही होता काफी गर्द हटाने को
जो कही ना जा सके किसी से वो दोस्त रहते सदेव तैयार दिल से सुनने को
गुत्थियाँ जो थी बरसों से उलझी झट से सुलझ जाती कुछ ही पलों में
हर मर्ज़ की दवा होती इन दोस्तों पर ,बैठे हों चाहे दुनिया के दूसरे छोर में
दोस्त की तकलीफ अपनी समझ सुझा देते सैकड़ों नुस्खे मात्र कुछ पलों में
गर यह ना हों साथ तो बेमज़ा हो जाए जिंदगी ,बाकी रहे ना कुछ जिन्दगी में
--रोशी
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