सोमवार, 15 जुलाई 2024

 

 वो भी इंसा है ,,मशीन की माफिक खटती है                                                                                                       एक प्यार भरी नज़र और दो मीठे बोलों को बेचारी तरसती है
ना कोई गिला ना चेहरे पर कभी कोई शिकन वो रखती है
बिन तनख्वाह ,खच्चर की माफिक काम करके सारा दिन सोने का ताना सुनती है
सारा घर नींद के आगोश में होता ,वो रसोई में चूल्हे के आगे खडी होती है
पानी की आवाज़ से ही जब काँप उठता शरीर ,वो नल से बर्तन धो रही होती है
सूर्योदय से पहले स्नान कर वो परिवार के वास्ते भगबान से दुआ कर रही होती है
परिवार की पसंद का भोजन मिनटों में संजो लेने काअद्भुत हुनर वो रखती है
घरनौकरी में तालमेल बिठाना चुटकी का काम है उसका,यह महारत वो रखती है
कौन है वो जादूगरनी ?आज की नारी है जो यह सब करने की छमता बाखूबी रखती है
--रोशी

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