दिल का टुकड़ा रहता माँ का ,आँखों का होता वो तारा
सौ गुनाह करती जो माफ़ ,माँ के सिवा दुनिया में दूजा ना कोई रिश्ता
गीले में रहकर खुद वो सूखे में सुलाती जो बालक को अपने
भूखी रहकर खुद जो निवाला देती भूखे बच्चे को अपने
इतना विशुद्ध ,सच्चा ,दिल से गर कोई प्यार करेगा वो है मां
किस्मत से गर पाया है माँ का साथ ,शुकराना अदा करो रब का
सब रिश्ते मिल जायेंगे जिन्दगी में पर ना मिल सकेगी दुबारा माँ
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