सोमवार, 15 जुलाई 2024


 बच्चों को पलने पोसने में लगा दी सारी जिन्दगी                                                                                               बेहतर शिक्षा के लिए महानगर भेजा ,फिर विदेश
बदल गया हुलिया उनका ,भाषा और उनका परिवेश
जन्मदाता तो हो गए उनकी दुनिया से कोसों दूर
अब सिर्फ मनीआर्डर ही रह जाता क़र्ज़ उतारने का जरिया
नई दुनिया अक्सर बसा लेते बच्चे ,बिसरा देते जन्मदाता का हुलिया
बेहतर होता कम पड़ाते,कम आमदनी में करते गुजर ,ना भेजते खुद से दूर
दोनों गर रहें पूरक एक दूजे के दौड़ जाती जिन्दगी की गाड़ी भरपूर
सामंजस्य होता निहायत जरूरी बच्चों और ब्रद्ध माँ बाप की खतिर
खुद के बेहतर भविष्य के लिए जन्मदाता को पूर्द्ताया बिसराना ना होता जरूरी
--रोशी

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