ताक पर रख दिए थे अपने शौक ,मस्ती ,इच्छाएं ,सपने और जीवन के रंग
दुछत्ती से उतर झाडा उनको और भर डाले बहुरंगी उनमे विभिन्न रंग
दुनिया की गलतियों पर राख डालते रहे ,जीवन भर रहे खुद दुश्वारियों के संग
जीवन का गडित देर में समझ आया ,अपने कैनवास में भरने होंगें खुद ही रंग
--रोशी
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