इस नकली मुखौटे के साथ जीना हमारी मजबूरी होती है
ज्यादातर इंसानों के पास मुख में राम बगल में छुरी होती है
बंगले के भीतर रहने वाले शख्स की जिन्दगी ज्यादातर खोखली होती है
रोज़ खुद को जिंदादिल बनकर हँसना और हँसाना पड़ता है
घर ,परिवार ,रोज़गार हर जगह है तकलीफों का अम्बार
तकलीफों से गुजर कर भी हर इंसा को रोज़ खुद को साबित करना होता है
--रोशी
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